Difference Between Equity Shares And Preference Shares-in Hindi (इक्विटी और प्रेफरेंस शेयर)

दोस्तो आज के ब्लॉग में हम जानेंगे Difference Between Equity Shares And Preference Shares के बारे में। stock market में जनरली कंपनियां जो share issue करती है उसे हम equity share कहते हैं पर equity share के अलावा यह कंपनियां preference share भी issue करती है और आज के इस ब्लॉक में हम यही जानेंगे कि preference share क्या होते हैं? और यह equity share से कैसे अलग है? तो आप इस ब्लॉक को पूरा पढ़ें ताकि आप इस अलग तरह के share के बारे में जान पाए नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारे इस ब्लॉग पर,

आइए आज हम जानते हैं preference share क्या होती है? दोस्तों कंपनियां जनरली दो तरह के share issue करती है एक को हम equity share कहते हैं और दूसरे को हम preference share कहते हैं जब कंपनियां IPO लाती है तो वह पब्लिक में equity share shell करके पैसे इंक्रीज करती है और जिन इन्वेस्टर के पास equity share होते हैं उन्हें equity share holder कहा जाता है पर कभी-कभी कंपनियां खास इन्वेस्टर्स को equity share के बजाय preference share issue करती है और जिन इन्वेस्टर के पास preference share होती है उन्हें preference share holders कहा जाता है दोस्तों equity shares और preference shares में बहुत सारे अंतर होते हैं

Difference Between Equity Shares And Preference Shares

Difference Between Equity Shares And Preference Shares Video Tutorial For You:-

Difference Between Equity Shares And Preference Shares

(i).voting rights:-

सबसे पहले बात करते हैं voting rights की preference shares के पास कोई voting rights नहीं होता है इसका मतलब है कि preference share holders कंपनी के डिसीजन में हिस्सेदारी नहीं होते हैं वही equity share holder के पास voting rights होते हैं जिससे वह कंपनी के डिसीजन में voting कर सकते हैं इसका मतलब यह है कि equity share holder कंपनी के डिसीजन में हिस्सेदार होता है हर एक equity share holder जनरली एक वोट को रिप्रेजेंट करता है example के लिए अगर हमारे पास एक कंपनी के 100 share है तो इसका मतलब है कि हमारे पास उसे कंपनी के 100 votes हैं

(ii).dividend:-

dividend की बात कर तो कंपनियों को preference share holders को एक fix time interval पर fix dividend देना होता है जिसे preference dividend भी कहा जाता है अगर कंपनी किसी वजह से dividend नहीं दे पाती है तो वह dividend due हो जाते हैं और कंपनियों को सारे due dividend बाद में preference share holders को देना होता है वहीं equity share holders को dividend देना और नहीं देना कंपनी के ऊपर होता है अगर कंपनी एक interval में dividend देने का decision नहीं लेती है तो equity share holders को उसे interval का dividend नहीं मिल सकता preference share की बात करें तो dividend distribution में पहला नंबर preference share holders का आता है इसका मतलब है कि अगर कंपनी dividend देने का डिसीजन लेती है तो सबसे पहले dividend preference share holders को ही मिलता है और उसके बाद ही कोई dividend equity share holder को dividend दिया जाता है और दोस्तों preference share holders को equity share holder से थोड़ा ज्यादा ही मिलता है

(iii).liquidation:-

कंपनी की liquidation यानी कंपनी बंद होने जा रही है तो उसे वक्त कंपनी सारे एसेट को sell करके जो पैसा आएगा उस पर भी equity share holder से पहले preference share holder का क्लेम होगा और उसके बाद ही equity share holder अपना क्लेम कर सकते हैं

(iv).buy & shell:-

दोस्तों preference share को जनरली wealthi investors म्युचुअल फंड्स और बड़े फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन ही buy करते हैं क्योंकि ऐसे शेयर्स कंपनियां तभी issue करती है जब उन्हें बहुत कम टाइम पर बहुत ज्यादा पैसे increase करना होता है और ऐसे वेल्थी इन्वेस्टर्स जब बड़े फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन ही पैसे इन्वेस्ट कर सकते हैं पर दोस्तों एक कंपनी के equity share को कोई भी buy कर सकता है चाहे वह retail investors हो या एक बड़ा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन equity share सबके लिए अवेलेबल होते हैं और कोई भी इसे buy कर सकता है।

(v).trading:-

share की trading की बात करें तो preference share की trading नहीं होती इसलिए preference share holders अपने share को स्टॉक मार्केट में sell नहीं कर सकते वही दोस्तों equity shares को हम share market में फाइनेंशियल सेल कर सकते हैं preference share की trading नहीं होती जिनकी वजह से इनकी prise चेंज नहीं होती है

अब सवाल है कि अगर preference share की trading नहीं होती है तो ऐसे में preference share holders अपने shares को कैसे sell कर सकते हैं तो दोस्तों preference share holders अपने shares को दो तरीके से ही sell कर सकते हैं (a). call feature (b).convertible feature;

(a).call feature-

call feature का मतलब होता है की कंपनी अपने preference share को call कर सकती है यानी की कंपनी के सारे preference shares को preference share holders से एक price able फिक्स प्राइस से buy कर सकती है दोस्तों

(b).convert able feature

convert able feature का मतलब होता है की एक फिक्स टाइम के बाद preference share को फिक्स ratio में equity shares को convert किया जा सकता है और फिर equity share में convert होने के बाद share market में आसानी से sell किया जा सकता है

(vi).Risk & Riturn:-

रिस्क और रिटर्न का कंपैरिजन करें तो preference share रिस्क कम होता है और रिटर्न फिक्स होता है क्योंकि इन share की प्राइस कम नहीं होती इसलिए रिस्क कम होता है और रिटर्न के लिए fix dividend होता है कि इसमें से रिटर्न फिक्स होता है जबकि equity shares की प्राइस चेंज होती रहती है इस वजह से इसमें रिस्क ज्यादा होता है और share की इस चेजओवर बहुत ज्यादा बड़ भी सकती है इस वजह से रिटर्न भी यहां ज्यादा होता है

निष्कर्ष:-

इस तरह हम देखे तो preference share, equity होते हुए भी एक bond की तरह कार्य करता है preference share holder को मेनली प्रॉफिट regular dividend से होता है और अगर preference share convertible feature का हो तो इन्हें equity share में convert कर के share market में बेच कर प्रॉफिट कमाया जा सकता है हमने आज जाना की प्रेफरेंस शेयर क्या होते हैं और यह equity share से कैसे अलग होते हैं।

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